भारत का महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष अभियान “चंद्रयान” ( Chandrayan ) है। इसके जरिए भारतीय वैज्ञानिक चांद के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं।
2003 के स्वतंत्रता दिवस संबोधन में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने चांद से जुड़े मिशन का ऐलान किया था। 2008 में इसरो ने चंद्रयान -1 शुरू किया था। वह भारत का पहला डीप मिशन था। 2019 में चंद्रयान-2 का उद्घाटन हुआ था। 14 जुलाई 2023 को चंद्रयान-3 श्रीहरिकोटा से उड़ान भरा ।
चंद्रयान ( Chandrayan ) – 3 क्या हैं ?
भारत का तीसरा चंद्र मिशन और चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग का दूसरा प्रयास है !
चंद्रयान -3 14 जुलाई, 2023 को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (SDSC) से चंद्रयान-3 इस मिशन के तहत दोपहर 2:35 बजे उड़ान भरी।
इसमें स्वदेशी लैंडर मॉड्यूल (LM), प्रोपल्शन मॉड्यूल (PM) और रोवर शामिल हैं, जिसका उद्देश्य अंतरग्रहीय मिशनों के लिए आवश्यक नई प्रौद्योगिकियों का विकास और प्रदर्शन करना है।
भारत का अंतरिक्ष अनुसंधान में उपलब्धि
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) चंद्रयान-3 के प्रक्षेपण से पहले सफल सॉफ्ट लैंडिंग की तैयारी कर रहा है। भारत का लक्ष्य यह है पूरा करके वह संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस और चीन के बाद ऐसा करने वाला विश्व का चौथा देश बन जाएगा ।
चंद्रयान-3 मिशन का उद्देश्य
- सुरक्षित और आसान तरीके से चंद्रमा की सतह पर लैंडिंग करना
- रोवर को चाँद पर घूमते हुए दिखाना।
- वैज्ञानिक प्रक्रियाओं का स्थानीयकरण करना
चंद्रयान- 2 से चंद्रयान- 3 मिशन से कितना अलग?
Chandrayan -2 में ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर थे चंद्रयान-3 में भी प्रपल्शन मॉड्यूल, लैंडर और रोवर होंगे। चंद्रयान-2 के लैंडर+रोवर की तुलना में चंद्रयान-3 का लैंडर+रोवर लगभग 250 किलो भारी है।
चंद्रयान-2 की मिशन लाइफ (अनुमानित) सात साल थी, जबकि चंद्रयान-3 का प्रपल्शन मॉड्यूल तीन से छह महीने के लिए बनाया गया है। चंद्रयान-3 चांद की ओर बढ़ेगा, लेकिन चंद्रयान-2 से कम तेजी से।
चंद्रयान-3 के लैंडर में चार थ्रस्टर्स हैं। चंद्रयान-3 चांद की सतह तक लगभग चालीस दिन में पहुंच जाएगा।
प्रक्षेपण और समयरेखा
- Chandrayaan -3 को लॉन्च करने में सफलतापूर्वक LVM3 M4 लॉन्चर का उपयोग किया गया है।
- LVM3 के उड़ान भरने के लगभग 16 मिनट बाद रॉकेट से अंतरिक्ष यान अलग हो गया। यह एक अंडाकार पार्किंग कक्षा (EPO) में पहुंचा।
- चंद्रयान-3 की यात्रा लगभग 42 दिन की होगी और 23 अगस्त, 2023 को चंद्रमा पर उतरने का लक्ष्य है।
- क्योंकि लैंडर और रोवर सौर ऊर्जा का उपयोग करते हैं, उनका मिशन लाइफ लगभग एक चंद्र दिवस (पृथ्वी के लगभग चौदहदिन) का होगा।
- चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के निकट चंद्रयान-3 की लैंडिंग साइट है।
चंद्रमा की दक्षिणी ध्रुव के निकट लैंडिंग का महत्त्व :
- ऐतिहासिक रूप से, भूमध्यरेखीय क्षेत्र अपने अनुकूल भूखंड और परिचालन स्थितियों के कारण चंद्रमा के लिए अंतरिक्ष यान मिशनों का केंद्र रहा है।
- भूमध्यरेखीय क्षेत्र की तुलना में चंद्रमा का दक्षिणी ध्रुव बहुत अलग और कठिन है।
- सूर्य की कमी के कारण कुछ ध्रुवीय क्षेत्रों में हमेशा अंधेरा रहता है, जहां तापमान -230 डिग्री सेल्सियस तक पहुँच सकता है।
- सूर्य के प्रकाश की कमी से अत्यधिक ठंड उपकरणों का संचालन और स्थिरता मुश्किल हो जाता है।
- चंद्रमा का दक्षिणी ध्रुव बहुत विपरीत स्थितियाँ प्रदान करता है, जो लोगों को मुश्किल बनाता है, लेकिन यह भी प्रारंभिक सौरमंडल के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी का एक संभावित भंडार है।
- भविष्य में गहरे अंतरिक्ष अन्वेषण को प्रभावित करने वाले इस क्षेत्र का पता लगाना महत्वपूर्ण है।
ISRO के चंद्रयान-3 मिशन की चुनौतियां क्या हैं?
अनजान सतह पर उतरना बहुत कठिन है। यह एक स्वचालित प्रक्रिया है जिसे कोई आदेश नहीं दिया जाता। ऑन-बोर्ड कंप्यूटर निर्धारित करता है कि लैंडिंग कैसे होगी।
कंप्यूटर अपने सेंसर्स से लोकेशन, हाइट, वेलोसिटी वगैरह का अनुमान लगाकर निर्णय लेता है। चंद्रयान-3 की सॉफ्ट-लैंडिंग सही और सटीक होने के लिए कई सेंसर्स मिलकर काम करना चाहिए।
भारत के लिए चंद्रयान-3 मिशन कितना अहम है ?
विज्ञान की दृष्टि से, चंद्रयान-3 मिशन बहुत से महत्वपूर्ण प्रश्नों के जवाब दे सकता है। मसलन, चांद की सतह पर भूकंप की लहरों का निर्माण कैसे होता है? क्या चांद की सतह थर्मल इंसुलेटर की तरह काम करती है? चांद के एलिमेंटल और केमिकल कम्पोजीशन क्या हैं? यह प्लॉट क्या है?
भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक चंद्रयान-3 मिशन की सफलता होगी। भारत, अमेरिका, रूस और चीन के बाद चांद पर सॉफ्ट-लैंडिंग करने वाले चौथे देश बन जाएगा। हाल ही में इसरो ने खुद को दुनिया की सबसे बड़ी स्पेस एजेंसी बनाया है। चंद्रयान पर सफल मिशन से उसकी साख मजबूत होगी।
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चंद्रयान – 3 की विशेषताएँ
- इसके लैंडिंग क्षेत्र का विस्तार किया गया है, जिससे एक बड़े निर्धारित क्षेत्र में सुरक्षित उतरने की सुविधा मिलती है।
- लैंडर को अधिक ईंधन दिया गया है, जिससे वह आवश्यकतानुसार लंबी दूरी तय कर सकता है, चाहे वह लैंडिंग स्थल हो या किसी दूसरे स्थान पर हो।
- चंद्रयान-3 लैंडर में चार तरफ सौर पैनल लगाए गए हैं, जबकि चंद्रयान-2 में केवल दो पैनल थे।
- लैंडिंग स्थान निर्धारित करने के लिए, चंद्रयान-2 ऑर्बिटर से प्राप्त उच्च-रिज़ॉल्यूशन चित्रों का उपयोग किया जाता है; इसे मज़बूती और स्थिरता बढ़ाने के लिए कुछ बदलाव भी किए गए हैं।
- चंद्रयान-3 में अतिरिक्त नेविगेशनल और मार्गदर्शन उपकरण हैं, जो लैंडर की गति को नियमित रूप से देखते हैं और जरूरत पड़ने पर सुधार कर सकते हैं।
- इसमें एक उपकरण शामिल है जिसे लेज़र डॉपलर वेलोसीमीटर कहा जाता है, जो लैंडर की गति को मापने के लिए चंद्रमा की सतह पर लेज़र बीम उत्सर्जित या छोड़ता है।
आशा करता हूँ ये जानकारी चंद्रयान – 3 क्या हैं आपके लिए हेल्फ फूल रही होगी जिससे आप आसानी से समझ गये होगे कि चंद्रयान – 3 के बारे में ये जानकारी आपको अच्छी लगी हो तो अपने दोस्तो के साथ Facebook, WhatsApp, Twitter , Instagram और अन्य सोशल मीडिया पर शेयर करें ताकि ये जानकारी ज्यादा लोगो तक पहुचाई जा सके।
FAQ About Chandrayan
Question:- चंद्रयान 3 कब तक पहुंचेगा?
Answer:- 31 जुलाई और 1 अगस्त की मध्यरात्रि को, चंद्रयान-3 पृथ्वी की कक्षा से बाहर चंद्रमा की ओर जाएगा। 5 अगस्त को चंद्रमा की ग्रैविटी एक स्पेसक्राफ्ट को कैप्चर करेगी।
Question:- चंद्रयान 3 की स्पीड कितनी है?
Answer:- धरती के ऑर्बिट से बाहर निकलने के लिए चंद्रयान-3 को मात्र 40,320 किलोमीटर प्रतिघंटा की गति हासिल करनी होगी। क्योंकि चंद्रयान-3 के इंटीग्रेटेड मॉड्यूल, जिसमें लैंडर और प्रोपल्शन मॉड्यूल भी शामिल हैं, का इंजन हर बार चालू होता है। इसलिए उसे तेज गति मिलती है।
Question:- चंद्रयान कैसे काम करता है?
Answer:- चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग के बाद तीन चरणों का अनुसरण होगा। पहला प्रपल्शन मॉड्यूल लैंडर रोवर को चंद्रमा की ऑर्बिट में 100 किलोमीटर ऊपर छोड़ेगा। बाद में रोवर को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतारने वाला दूसरा लैंडर मॉड्यूल भाग होगा। इसके बाद रोवर होगा, जो चांद पर उतरकर अंतरिक्ष अध्ययन करेगा।
Question:- चंद्रयान 2 कब लॉन्च हुआ?
Answer:- 22 जुलाई 2019 को श्रीहरिकोटा रेंज से भारतीय समयानुसार दोपहर 02:43 बजे भारत ने चंद्रयान-2 को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया।
Question:- चांद पर पानी है क्या ?
Answer:- लंबे समय से धरती का एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह सूखा है। लेकिन पिछले कुछ दशकों में कई मिशनों ने देखा कि चंद्रमा पर पानी है, खनिजों के रूप में और सतह पर भी।